स्वप्न-दशा
पद-परिचय-सोपान
स्वप्न-दशा
स्वप्न-दशा में व्यक्ति के स्थूल शरीर के सभी दस इन्द्रिया लय की दशा में रहती है, इसलिये व्यवहार के लिये उपलब्ध नहीं रहती हैं । सूक्ष्म शरीर के
पंच-प्राण कार्यकारी दशा में रहते हैं, मस्तिष्क के चार प्रभागो में से दो
प्रभाग नामत: अहंकार और विवेक लय की दशा में रहते हैं और शेष दो प्रभाग कार्यकारी
दशा में रहते हैं । इस स्थल पर विशेष ज्ञेय यह है कि स्वप्न की दशा में व्यवहार के
लिये व्यक्ति को एक स्वप्न-स्थूल-शरीर मिलती है, जो कि सामान्य
स्थूल-शरीर से विलक्षण होती है । स्वप्न-काल में व्यक्ति का मस्तिष्क स्वयं अपनी
ही संचित वासना वृत्तियों से व्यवहार करता है, और स्वयं ही उन व्यवहारों का फल-भोक्ता भी होता है ........ क्रमश:
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें