प्रकृति शासक
पद-परिचय-सोपान
प्रकृति शासक शास्त्रों के उपदेश का सार निश्कर्ष है कि जगत् की समस्त गतियों की
प्रकृति शासक है । व्यष्टि विचार में प्रकृति व्यक्ति के स्वभाव के रूप में प्रगट
स्वरूप में उपलब्ध होती है । व्यक्ति का स्वभाव, उसके पूर्व जन्मों
के संचित कर्म-फलों के आधार पर सृजित होता है । इसीलिये प्रत्येक व्यक्ति का
स्वभाव भिन्न होता है । समष्टि विचार में प्रकृति माया शक्ति के रूप में जानने
योग्य है । ज्ञातव्य है कि माया शक्ति ही जगत् की सृजन शक्ति भी है और लय स्थल भी
होती है । प्रकृति का स्वयं का सृजन तीन गुणों नामत: सत्व, रज़स, तमस के मौलिक आधार पर सम्भव हुआ है । इस
रूप में समस्त ब्रम्हाण्ड की गतियों का शासक सत्व, रज़स, तमस तीन गुण हैं ........... क्रमश:
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