अध्यास
पद-परिचय-सोपान
अध्यास
पारमार्थिक सत्य पर व्यवहारिक सत्य के आरोपण को शास्त्रीय भाषा में अध्यास कहा जाता
है । शुद्ध स्फटिक पदार्थ का कोई रंग नहीं होता है । यह जगत् विख्यात तथ्य है ।
परन्तु लाल रंग के फूल को यदि स्फटिक के सानिध्य में रख दिया गया है, ऐसी दशा में लाल-फूल का लाल रंग रंग-विहीन-स्फटिक में भासित होने लगता
है । देखने वाला व्यक्ति कहता है कि स्फटिक लाल रंग का है । यह लाल-रंग का स्फटिक
पर अध्यास है । शुद्ध शाश्वत् आत्मा असंग है । यह वेद उपदेश करते हैं । आत्मा के
सानिध्य के फल से जड स्थूल-शरीर-मस्तिष्क समुदाय चेतन-वद् आचरण करने लगता है । उपरोक्त
वर्णित चेतन व्यक्ति अपना स्वरूप परिचय बताते हुये कहता है, मैं छ: फीट दस इन्च ऊँचा हूँ, मेरा अस्सी कीलो वजन है, मैं बुद्धिमान हूँ । उपरोक्त समस्त अभिव्यक्तियों में उपरोक्त कथित चेतन
व्यक्ति किसे अपना स्वरूप परिचय बता रहा है ? अपनी स्थूल-शरीर को, अपने सूक्ष्म-शरीर के अंग मस्तिष्क को, परन्तु स्थूल-शरीर
और मस्तिष्क दोनो ही जड-पदार्थ से सृजित स्वयं जड हैं । उपरोक्तानुसार व्यक्ति की
स्थूल-शरीर, मस्तिष्क सभी के धर्म व्यक्ति के स्वरूप
उसकी आत्मा पर आरोपित किये जाते हैं, यह अनात्मन-शरीर-मस्तिष्क का आत्मा पर
अध्यास हैं ........... क्रमश:
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