सूक्ष्म-शरीर
सूक्ष्म-शरीर यह शरीर सूक्ष्म-पंच-महाभूतों द्वारा निर्मित होती है । ज्ञातव्य है कि
सृष्टि प्रक्रिया जिसके विषय में आगे के अंको में विस्तार से वर्णन प्रस्तुत किया
जायेगा, का प्रारम्भ करते हुये हिरण्यगर्भ, जो कि स्वयं समष्टि-सूक्ष्म-शरीर है, ने पहले सूक्ष्म-पंच-महाभूतों की ही
उत्पत्ति की है । पुन: द्वितीय चरण में सूक्ष्म-पँच-महाभूतो के पंचीकरण से
स्थूल-पँच-महाभूतों की उत्पती हुई है । यह सूक्ष्म-शरीर उन्नीस अंगो से युक्त होती
है । पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्मेन्द्रियाँ, पंच-प्राण नामत: प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान इन सभी नामों
के साथ प्राण शब्द जोडकर उच्चारण किया जाता है, इन पंच-प्राण के विषय में भी विस्तार आगे
के अंको में प्रस्तुत किया जायेगा, वर्तमान में इनका केवल नाम-करण मात्र जान
लेना अपेक्षित है, एवं चार प्रभागो नामत: मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार से युक्त मस्तिष्क है ।
उपरोक्त समस्त विवरण के अनुसार पांच ज्ञानेन्द्रिय, पांच कर्मेन्द्रिय, पंच-प्राण, चार-प्रभाग-युक्त-मस्तिष्क मिलाकर कुल
योग उन्नीस अंग है । उपरोक्त समस्त विवरण से विदित है कि स्थूल शरीर जो कि आवरण
मात्र है, उपरोक्त स्थूल-आवरण की संचालन क्षमता
वर्तमान-विचाराधीन सूक्ष्म-शरीर में निहित होती है । यह सूक्ष्म-शरीर, स्थूल-शरीर की मृत्यु की दशा में, स्थूल शरीर से निकल जाती है और गति करते
हुये यह पुन: दूसरे नये स्थूल शरीर में माया द्वारा स्थापित की जाती है ।
इस सूक्ष्म शरीर की मृत्यु नहीं होती है । जब वर्तमान सृष्टि का प्रलय काल आता है
उस दशा में यह सूक्ष्म-शरीर अव्यक्त-दशा में पर्णित होकर कारण-शरीर में समाहित हो
जाती है । दूसरी सृष्टि की जब ईश्वर उत्पत्ति करते है तब यह सूक्ष्म-शरीर पुन:
तत्कालीन हिरण्यगर्भ द्वारा व्यक्त-दशा में प्रगट की जाती है जिसे उत्पत्ति का नाम
दिया जाता है । इस सूक्ष्म-शरीर का भी पोषण सूक्ष्म-अन्न-द्वारा होता है । सूक्ष्म-अन्न
की उत्पत्ति सूक्ष्म-पँच-महाभूतों से होती है । इस प्रकार उपरोक्त तथ्य के विमोचन
द्वारा व्यक्ति को अपने स्वरूप के सम्बन्ध में अपने दूसरी भ्रान्ति धारणा
का परिचय भी प्राप्त होता है । कैसे ? क्योंकि व्यक्ति उपरोक्त
स्थूल-सूक्ष्म-शरीर-समुदाय को ही अपना परिचय अर्थात् अपना स्वरूप मानता आया है, जबकि यह व्यक्ति का सत्य परिचय नहीं है । क्यों ? क्योंकि
व्यक्ति चेतन हैं, और उसका स्वरूप-परिचय उसका चेतन अंश है, जबकि उपरोक्त वर्णित स्थूल-सूक्ष्म शरीर भी जड पदार्थों से निर्मित है, जड है .....क्रमश:
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