स्थूल-शरीर

स्थूल-शरीर मनुष्य का स्थूल शरीर दस इन्द्रियों से युक्त एक आवरण मात्र है । पाँच कर्मेन्द्रियाँ और पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ मिला कर स्थूल शरीर के पास दस इन्द्रियों का समूह है । यह ढाँचा मात्र है । यह स्थूल-शरीर स्थूल- पँच-महाभूतों से निर्मित होता है । पँच महाभूत नामत: आकाश-वायु-अग्नि-आपा-पृथ्वी हैं, जो कि स्थूल-शरीर की मृत्यु की दशा में, प्रत्येक पंच-महाभूत अपने अपने मौलिक उद्गम-श्रोत में वापस स्थापित हो जाते हैं । यद्यपि की बाह्य जगत् के साथ व्यवहार यह स्थूल शरीर ही करता है, परन्तु इसका व्यवहार सामर्थ्य इसकी अपनी मौलिक सामर्थ्य नहीं होती है । इस स्थूल शरीर का पोषण अन्न से होता है । इस स्थूल शरीर की उत्पत्ति भी अन्न से ही होती है । अन्न भी पंच-महाभूतों की ही उत्पत्ति होते हैं । उपरोक्त समस्त विवरण से स्पष्ट है कि यह स्थूल शरीर मात्र अन्न से निर्मित एक आवरण है । व्यवहारिक जगत् में व्यक्ति अपने स्थूल शरीर को अपना परिचय मानता है, बताता है । इस प्रकार उपरोक्त तथ्य के विमोचन द्वारा व्यक्ति को अपने स्वरूप के सम्बन्ध में अपने पहली भ्रान्ति धारणा का परिचय भी प्राप्त होता है । कैसे ? क्योंकि व्यक्ति उपरोक्त स्थूल शरीर को ही अपना परिचय अर्थात् अपना स्वरूप मानता आया है, जबकि यह व्यक्ति का सत्य परिचय नहीं है । क्यों ? क्योंकि व्यक्ति चेतन हैं जबकि उपरोक्त वर्णित स्थूल शरीर जड पदार्थों से निर्मित है, जड है ........ क्रमश: 

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