पूर्तम्


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
पूर्तम् वह कर्म जो जन हित के लिये किये जाते हैं उन्हे पूर्त कर्म कहा जाता है । जल पीने हेतु कूआँ का निर्माण, ईश्वर आराधना के लिये मन्दिर का निर्माण, तीर्थ-यात्रियों को यात्रा काल में ठहरने के लिये शुल्क रहित धर्म-शाला का निर्माण जिसमें मुफ्त भोजन की व्यवस्था करना, सार्वजनिक उपयोग के लिये तालाब का निर्माण आदि कर्म को करना पूर्तम् कर्म कहा जाता है । पूर्तम् कर्म का फल स्वर्ग-लोक की प्राप्ति बताया गया है । ...... क्रमश:

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