रयि-प्राण मिलकर एक पूर्ण


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
रयि-प्राण मिलकर एक पूर्ण रात-दिन मिलकर एक पूर्ण है । परीश्रम-विश्राम मिलकर एक पूर्ण है । उत्तरायण-दक्षिणायन मिलकर एक पूर्ण है । जन्म-मृत्यु मिलकर एक पूर्ण है । प्रादुर्भाव-प्रलय मिलकर एक पूर्ण है । पुरुष-नारी मिलकर एक पूर्ण है । उदय-अस्त मिलकर एक पूर्ण है । व्यक्त-अव्यक्त मिलकर एक पूर्ण है । माया-कल्पित-जगत् का प्रत्येक अवयव सापेक्ष है क्योंकि रयि-प्राण से सृजित है । यद्यपि कि रयि-प्राण की प्रत्येक जोडी के दोनो घटक विपरीत स्वभाव के हैं, फिरभी दोनो मिलकर ही एक पूर्ण हैं । ...... क्रमश:   

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